लाज के मारे झुकी हुई आँखें
पूरे मुखड़े को ढका हुआ
सिर पर चढ़ा पल्लू
कलाई से केहुनी तक
चढ़ी हुई कांच की
सतरंगी चूड़ियाँ
पैर की अंगुरियों में
कसी हुई चमकती बिछिया
हमारी सभ्यता की सांचे में
कसी हुई नारी की
यही परिभाषा है.
पर, इन्हें देखने वालों का
कुछ नजरिया भी अलहदा है
मुलायम कूचियों से
खिची गई रेखा
चेहरे पर अंगूठे
के सहारे बनाया दाग
हाथ के छिटकने से
तस्वीर पर पड़ी छीटें
कहीं आँखों में लगे
मोटे काजर को पसारते
मानों दर्द के ढबकने से
बाहर आते-आते रह गए।
किसी एक ने देखा तो
दर्द को महसूसते
चित्रकार को बधाई दी
प्रदर्शनी देखने आई भीड़ भी
मर्दानगी का दामन
छोड़ नहीं पाई
दबी, कुचली और फिर
वारांगना या वारवधू
कहने पर भी "ना' मर्दों का
मुंह बंद नहीं करा पायी।
पूरे मुखड़े को ढका हुआ
सिर पर चढ़ा पल्लू
कलाई से केहुनी तक
चढ़ी हुई कांच की
सतरंगी चूड़ियाँ
पैर की अंगुरियों में
कसी हुई चमकती बिछिया
हमारी सभ्यता की सांचे में
कसी हुई नारी की
यही परिभाषा है.
पर, इन्हें देखने वालों का
कुछ नजरिया भी अलहदा है
मुलायम कूचियों से
खिची गई रेखा
चेहरे पर अंगूठे
के सहारे बनाया दाग
हाथ के छिटकने से
तस्वीर पर पड़ी छीटें
कहीं आँखों में लगे
मोटे काजर को पसारते
मानों दर्द के ढबकने से
बाहर आते-आते रह गए।
किसी एक ने देखा तो
दर्द को महसूसते
चित्रकार को बधाई दी
प्रदर्शनी देखने आई भीड़ भी
मर्दानगी का दामन
छोड़ नहीं पाई
दबी, कुचली और फिर
वारांगना या वारवधू
कहने पर भी "ना' मर्दों का
मुंह बंद नहीं करा पायी।
kya baat hai. wah.....
ReplyDeletewah kya baat hai. waah wah....
ReplyDeletebhoot khoob. wah wah ...
ReplyDeleteawesome man...........
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